Monday, December 22, 2014

Two Small Stories

आधी रात को बहुत बारिश
हो रही थी।
अजय और उसकी बिवी प्रिया एक मित्र
के यहाँ पर्व मनाकर अपने गाडी से
घर वापस लौट रहे थे।...

काफी रात हो चुकी थी ।और
बारिश
की वजह से अजय बहुत
धीमी गती से
गाड़ी चला रहा था।
तभी अचानक बिजली गीर गई।
बिजली के
रोशनी मे अजय को गाड़ी के सामने कुछ
दिखाई दिया
तो उसने गाड़ी रोक दी।
गाड़ी रुक ने
पर उसकी बिवी ने
कहा क्या हूवा गाड़ी क्यों रोक दी?
अजय ने आगे कि ओर इशारा किया।
प्रिया ने आगे देखा तो वो डर गयी।
क्यों की
गाड़ी के सामने एक औरत
खड़ी थी।
वो औरत गाड़ी के पास आयी।
और हाथ से गाड़ी का शीशा नीचे
करने
का इशारा करने लगी।
अजय
की बीवी प्रिया काफी डर
गयी थी।
उसने अजय को गाडी चलाने को कहा।
लेकिन गाड़ी भी स्टार्ट
नही हुईं।
गाड़ी के बाहर खडी औरत बारिश
की वजह
भीग गयी थी। वो हाथ जोडकर
गाड़ी का शिशा निचे करने
का इशारा कर रही थी।
अजय को लगा कि वो औरत किसी मुसीबत मे
है। इसलिए उसने गाड़ी का शिशा निचे
किया।
वो औरत हाथ जोडकर बोली 'भाई साहब
मेरी मदत किजीऐ।
तेज बारिश कि वजह से मेरे
गाड़ी का अॅक्सीटेंड हुआ है।
मेरी गाड़ी रस्ते के निचे गीर
गयी है।
उसमें मेरा छोटा बच्चा है।प्लिज
उसे बचाईये।
अजय गाड़ी से उतरा और उस औरत के
पिछे गया।
उस औरत की गाड़ी रस्ते के
काफी निचे
गिर गयी थी।
अजय निचे उतरकर उस गाडी मे से
रो रहे उसके बच्चे को बाहर निकाला।
फिर अजय को लगा की ड्रायवर
की सीट पर
भी कोई है।जब अजय ने ड्रायव्हर
की सीट पर देखा तो उसके होश उड गये।
क्योंकी ड्रायव्हर के सीट पर
वही औरत खून से लथपत
मरी पडी थी।
अजय को अब सब समझ मे आया।
वो बच्चे को लेकर अपने गाड़ी के पास
आया।
बच्चे अपने बीवी प्रिया के पास
दिया।
उसकी बीवी बोली 'वो औरत
कहा है?'वह
कौन थीं? '
अजय बोला
.
.
.
'वो एक माँ थी।


एक सेठ था, वो दिन-रात
काम-धँधा बढ़ाने में लगा रहता था,
उसको शहर का सबसे
अमीर आदमी बनना था।
धीरे-धीरे वह नगर सेठ बन गया।...

इस कामयाबी की ख़ुशी में
उसने एक शानदार घर बनवाया।
गृह प्रवेश के दिन
उसने एक बहुत बड़ी पार्टी दी
और जब सारे मेहमान चले गए तो
वो अपने कमरे में सोने के लिए गया।
वो जैसे ही बिस्तर पर लेटा
एक आवाज़ उसके कानो में पड़ी..
मैं तुम्हारी आत्मा हूँ,
और अब मैं तुम्हारा
शरीर छोड़ कर जा रही हूँ !
सेठ घबरा के बोला,
अरे तुम ऐसा नहीं कर सकती,
तुम्हारे बिना तो मैं तो मर ही जाऊँगा,
🚁देखो मैंने कितनी बड़ी
🚁कामयाबी हांसिल की है,
🚁तुम्हारे लिए करोड़ों रूपये का
घर बनवाया है,
इतनी सारी सुख-सुविधाएं
सिर्फ तुम्हारे लिए ही तो हे।
🔋यहाँ से मत जाओ।
🔋आत्मा बोली,
🔋मेरा घर तो तुम्हारा स्वस्थ शरीर था,
पर करोड़ों कमाने के चक्कर में
तुमने इस अमूल्य शरीर का ही
नाश कर डाला,
तुम्हें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज,
थायरॉइड, मोटापा, कमर दर्द
आदि बीमारियों ने घेर लिया है।
तुम ठीक से चल नहीं पाते,
रात को तुम्हे नींद नहीं आती,
तुम्हारा दिल भी कमजोर हो चुका है, ⏰तनाव की वजह से ना जाने
⏰और कितनी बीमारियों का
⏰घर बन चुका है
तुम्हारा शरीर।तुम ही बताओ
क्या तुम ऐसे किसी घर में
रहना चाहोगे जहाँ
चारो तरफ कमजोर दिवारें हो,
गंदगी हो, जिसकी छत टपक रही हो,
जिसके खिड़की दरवाजे टूटे हों,
📹नहीं रहना चाहोगे ना!!...
📹इसलिए मैं भी
📹ऐसी जगह नहीं रह सकती।...
और ऐसा कहते हुए आत्मा
सेठ के शरीर से निकल गयी...
सेठ की मृत्यु हो गयी।
मित्रों, ये कहानी
बहुत से लोगों की हकीकत है,
ऐसा नहीं हे कि आप
अपनी मंजिल पर मत पहुँचिये,
पर जो भी करिये
स्वास्थ्य को सबसे ऊपर रखिये,
नहीं तो सेठ की तरह
मंजिल पा लेने के बाद भी
अपनी सफलता का लुत्फ नहीं उठा पाएँगे
। ॥आनंदम्


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टीचर : अच्छा चलो बच्चों, आतंकवाद पर निबंध सुनाओ।
अकरम : मैडम, आतंकवाद दो तरह का होता है , अच्छा और बुरा।
मैडम :जरा खुल कर बताओ ।
अकरम : मैडम मेरा एक दोस्त इक़बाल पेशावर में आर्मी स्कूल में पढता था। ...

उसे 16 दिसंबर 2014 को आतंकवादियों ने मार डाला। अब्बु कहते हैं ये आतंकवाद
बहुत बुरा है।
टीचर : तो अच्छा आतंकवाद कौनसा है?
अकरम : जो आतंकवादी कश्मीर में, मुम्बई में और इंडिया के दूसरे इलाकों में लोगों को मारते है ओ अच्छा आतंकवाद है ।

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